एक 35 वर्षीय व्यक्ति, जिसका नाम विवेक बंसल था, अपनी गाड़ी मैं बैठा घर जा रहा था।
रात का समय था । चारों तरफ अंधकार था । उसकी गाड़ी की हैडलाइट ही उस राह में प्रकाश फैला रही थी, जिस राह से वो गुजर रहा था ।
विवेक हाई स्पीड के साथ गाड़ी ड्राइव कर रहा था । क्योंकि आज घर वापस लौटने में उसे काफी देर हो गई थी।
गाड़ी ड्राइव करते हुए अचानक उसकी गाड़ी के सामने एक लड़की आ गई । इससे पहले कि वह ब्रेक मारकर उस लड़की को बचाने में सफल हो पाता, तब तक उसे बहुत देर हो गई थी।
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बदला (कहानी एक भटकती आत्मा की ) |
जरा भी मौका न पाते हुए वह अपनी कोशिश में विफल रह गया । लड़की को गाड़ी की भयंकर टक्कर लगी । परिणामस्वरूप वो अपने स्थान से उछलकर दूर जा गिरी ।
गाड़ी रोक विवेक बाहर आया और एक्सीडेंट में जख्मी होकर सड़क पर गिरी लड़की की ओर दौड़ पड़ा ।
लड़की के करीब पहुंच उसने देखा कि वह बुरी तरह जख्मी हो गई है । उसका चेहरा खून में सन गया था । लहूलुहान हो जाने के साथ वो लड़की अचेत अवस्था में थी ।
विवेक ने झट उसकी नब्ज को चेक किया । दिल की धड़कने को चैक किया ।
वो जिंदा थी ।
उसे जिंदा देख, विवेक ने झट अपने मोबाइल फोन से हॉस्पिटल फ़ोन कर एंबुलेंस को बुलाया ।
तत्पश्चात !
एंबुलेंस की प्रतीक्षा में वो इधर-उधर देखता रहा । फिर बाद मैं उसने सड़क पर जख्मी लड़की की ओर नजर डाली तो विस्मय से उसकी आँखें फैलती चली गई ।
क्योंकि !
वो लड़की गायब हो चुकी थी ।
विवेक हैरान-परेशान था, कि आखिर वो गई तो गई कहां ? और इस हालत में, जिसमें कोई भी ग्रस्त होने के बाद अपनी जगह से एक इंच भी नहीं हिल सकता, वो इतनी गंभीर हालत में उठकर कैसे जा सकती हैं ? सोच-सोच कर उसका दिमाग लगातार उलझनों मैं ग्रस्त हुए चला जा रहा था ।
कुछ भी समझ में न आने के कारण वो वापस अपनी गाड़ी में आ गया और घर के लिए रवाना हो गया ।
विवेक उसी लड़की के बारे मैं सोचता हुआ घर पहुंचा, जो उसकी कार से घायल होने के बाद अचानक गायब हो गई थी ।
घर पर जब वो अपनी पत्नी से मिला तो पत्नी ने उसका कोट उतारते हुए कहा-
“विवेक तुमसे एक बात बतानी थी ।”
“हां, बताओ ।”
कोट उत्तर जाने के बाद उसने अपना पूरा ध्यान पत्नी की ओर दिया ।
“एक लड़की है, बहुत गरीब भी है और बेसहारा भी ।”
“हा, तो ?” उसने नम्रतापूर्ण स्वर में पूछा ।
“उसे नौकरी की तलाश थी ।” पत्नी ने बताया- “मैंने उसे नौकरी दे दी ।”
“क्या नौकरी दी ?”
“घर के सभी कामों की ।”
“ओके ।” वो सरलता से बोला ।
“एक बात और ।”
“हां, बताओ ।”
“वो लड़की यही हमारे साथ इस घर में रहेगी । क्योंकि उस बेचारी का कोई ठिकाना नहीं है ।”
“जैसी तुम्हारी मर्जी ।”
“क्या तुम्हें सही नहीं लगी ?”
“मैंने ऐसा कब कहा ।”
“पर तुम सही ढंग से मेरी बात का जवाब भी तो नहीं दे रहे हो ।”
“वो दरअसल आज मैं बहुत थक चुका हूं । ऑफिस में काम ज्यादा था न । बाकी तुम्हारी किसी भी मर्जी पर मुझे बिल्कुल एतराज नहीं ।” उसने मुस्कुरा कर कहा था ।
पत्नी भी मुस्कुरा दी । बोली-
“आओ, मैं तुम्हें उस लड़की से मिलवा देती हूं ।”
“वो विवेक का हाथ थाम उसे किचन की तरफ ले गई ।
जिस लड़की को उसने अपने घर में नौकरी दी थी, वो किचन में बर्तन धो रही थी । उस लड़की के सामने विवेक को लाते हुए वह बोली-
“शालिनी ।
लड़की का नाम शालिनी था ।
शालिनी ने दृष्टि उनकी ओर उठाई तो विवेक की पत्नी बोली-
“यह है मेरे पति हैं ।”
“जी ।” लड़की ने धीरे से कहा ।
“यह शालिनी है ।” वो विवेक से बोली- “आज से हमारे घर का सारा काम यही करेगी ।”
विवेक शालिनी की तरफ देखकर मुस्कुरा दिया । उसके बाद दोनों पति-पत्नी वहां से चले आये ।
शालिनी के होठों पर कुटिल मुस्कान सजी । उसने नल खोला तो पानी की जगह खून उसमें से बहने लगा ।
नल से खून की बहती धार में अपने हाथों को भिगोती शालिनी ने ठहाका लगाया । कहां-
“मैं सब को मार डालूंगी ।”
वास्तव में शालिनी वही लड़की थी, जो विवेक की गाड़ी से टकराकर बुरी तरह जख्मी हुई थी । विवेक उसे इसलिए नहीं पहचान पाया था, क्योंकि उसने अपना रूप बदल लिया था ।
शालिनी इंसान नहीं थी | दरअसल वो एक भटकती आत्मा थी । शालिनी की मौत एक दुर्घटना मैं हो जाने के कारण उसकी आत्मा पिछले 3 वर्षों से भटक रही थी । फलस्वरूप उसने किसी लड़की का जिस्म हासिल करके इस धरती पर अपना एक नया स्थान बनाया था । वो पिछले 3 वर्षों से उसी जगह भटक रही थी, जहां विवेक की गाड़ी उसका एक्सीडेंट हुआ ।
रात के एक बजे का समय था । विवेक व उसकी पत्नी दोनों ही गहरी नींद में सो रहे थे ।
पत्नी को सुनाई दिया कि कोई किचन में बरतनों के साथ छेड़छाड़ कर रहा है । बरत्तनों की आवाज कान में पड़ने के बाद वो जाग गई थी । मगर जल्द ही फिर से सोने की कोशिश करने लगी थी ।
तीस मिनट गुजर गये । बरतनों की आवाज बराबर आती रही । तंग आकर वो उठी और किचन की तरफ चल दी ।
किचन में आकर उसने देखा की शालिनी बर्तन धो रही है ।
उसकी तरफ शालिनी की पीठ थी । वह बोली-
“इतनी रात गये तुम बरतन क्यों धो रही हो ?”
जवाब में शालिनी ने कुछ न कहा । वह बराबर बर्तन धोने में लगी रही ।
“तुम कुछ बोल क्यों नहीं रही हो शालिनी ?”
कहते-कहते वो शालिनी के करीब चली आई । उसके बराबर में आकर खड़ी हो गई ।
परंतु शालिनी फिर भी खामोश ही रही ।
उसकी ख़ामोशी से परेशान आकर वो जरा तेज आवाज में बोली-
“कुछ तो कहो…
इसी के साथ शालिनी ने अपना चेहरा उसी तरफ घुमा दिया ।
शालिनी की आंखें देख विवेक की पत्नी बुरी प्रकार डरी कि उसके हलक से आवाज तक न निकल पाई । वह स्लैब पकड़कर अपने स्थान पर ज्यों की त्यों खड़ी रह गई ।
दरअसल शालिनी की आँखें सफेद बल्ब की मानिंद चमक रही थीं । एक क्षण भी न गंवाते हुए शालिनी ने उसका गला दबा दिया ।
शीघ्र ही उसने फड़फड़ाते हुए दम तोड़ दिया ।
उसे खत्म करते ही शालिनी विवेक के पास पहुंची ।
विवेक सो रहा था ।
वह उसके करीब लेट गई । इसी के साथ उसने विवेक को जगा दिया ।
विवेक ने शालिनी का यह डरावना रूप देखा तो झट वहां से भागने की कोशिश की ।
इससे पहले कि वो भाग पाता, शालिनी ने उसे पकड़ कर वही लिटा लिया । बोली-
“तुम जानते हो मैं कौन हूं ?”
“नहीं ।” वह घुटी-घुटी आवाज के साथ बोला ।
“मैं वही लड़की हूं, जिसका तुम्हारी गाड़ी से एक्सीडेंट हुआ था और वो गायब हो गई थी ।”
विवेक तुरंत समझ गया कि वो कोई प्रेत आत्मा है ।
अब आगे विवेक को कोई भी मौका न देते हुए शालिनी ने बहुत मजबूती के साथ उसका गला पकड़कर दबा दिया ।
विवेक भी अपनी पत्नी की तरह फड़फड़ाते हुए दम तोड़ने के सिवा कुछ न कर सका ।
दोनों को मौत की नींद सुलाने के बाद शालिनी पुनः अपने नए शिकार के लिए अपने ठिकाने पर पहुंच गई ।
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